Sunday, June 21

World Music Day' 15

Thursday, December 22

दोनों से है मुहोब्बत...
दोनों की करे हैं इबादत...
दोनों ही हुए हैं जुदा...
पर किसको परवाह...
हमें न सनम मिला... न खुदा...!!!

Saturday, December 17

गुज़रे कल को मुट्ठी से गिर जाने दो रेत की तरह...
रेत ही तो है...
वरना मकाँ न बने होते...??  

महक उठती हूँ फ़कत नाम से तुम्हारे...
जो छू लिया तुमने तो खुशबू हो जाऊँगी !!

Monday, November 21

इस कदर ख़ुशनुमा हुई  है सहर आज की...
कानों में ज़िक्र आपका, जुबां पे महक रात की...
तमाम ज़िन्दगी कर देंगे हक़ आपके हम...
जो इस दिल पे बस रहे यूँ महर आपकी...!!!

होठों पे तबस्सुम है ये, के बर्क-ए-बला है...
आँखों का इशारा है के, सैलाब-ए-फना है...

ताज्जुब में निकलेगा दिन आज का...
हैरान परेशानियों को छुट्टी दी है आज...!!!

इतने दिनों के बाद आया है तू..
और उजला हुआ कुरबत का चाँद...
और गहरा हुआ तेरा फुसुं...
सोचती हूँ झुका के अपनी नज़र...
अब तुझे दूर से कैसे मिलूँ...???

Saturday, November 19

"मैंने ये सोच कर तस्बी ही तोड़ दी है 'फ़राज़',

क्या गिन गिन के माँगू उस से जो देता बे-हिसाब है!!" (faraz)


मैंने घर में ही खोली है दूकान सवालों की... हर सवाल के जवाब में सवाल है...
उससे क्या मांगू... जो खुद लाजवाब है... !! (i-ism)

jumle bunti hun.. fikre kasti hun...
khayaal bakti hun... raatein jagti hun...;
par koi be-karaari nahin...
Janaab... main khud hi shikaar hun... shikaari nahin...!!! {in reply to Max Babi..}

Thursday, March 31

Friday, August 6

आसमानी ख़याल... सुरमई रंग है मिरा...

सुनहरे सपने.. गुलाबी आँखें...

सफ़ेद चमकदार है ज़िन्दगी...

सांवली रात का रंगीन इन्द्रधनुष हूँ मैं... (@Ila-ism)

तुम्ही से है शुरू.. ख़त्म तुम्ही पर... ये मेरी ज़िन्दगी बड़ी छोटी ही सही..!!! [tch@i-ism]

इस ओर न देख खुर्शीद.. उदासी होगी...

ये इबादत का खिजाना इब्न-ए-इश्क का है...!!! {i-ism@chanak}

सजा लो वापिस तलवारें मयानों में...

मैं कली हूँ अनार की... अकबर..

तुम मुझे क्या हराओगे...???


मैं मुहोब्बत हूँ...

दर्द कि आग़ोश में जीती हूँ...

जिसे ज़िन्दगी न डरा सकी...

उसे मौत से क्या डराओगे...???


{i-ism@random}

कल चांदनी सी छत पे... एक लम्हा देखा था...

कल चांदनी सी छत पे, इक याद बना ली जी...!!!


हौले से गुनगुनाती है हवा आज कानों में...

मौसम है ये आज का..., के मुहोब्बत का असर है मुझे ...???

यूँ तन्हा हो जाते हैं रास्ते कभी यूँ भी...

के कोई छू के भी गुज़र जाये... तो एहसास नहीं होता...!!!


आँखों में बसे चेहरे, दिल कि यादों में पलते रहते हैं...

ख़ुदा रुकते नहीं मेरे... चलते रहते हैं...!!!

परिस्तिश छोड़ दी मैंने जब से तू गया... क्या करेंगे ख़ुदा पा कर भी... तेरे बिना..." {i-ism}

हवाओं में... दरियाओं में... मंज़रों में देखो...

दुश्मनों में... रिश्तों में... महबूब में देखो...
बाज़ारों में क्या ढूंढते हो तुम ख़ुदा...
ख़ुदा खुद तुम में है... खुद में डूब के देखो...!!!

मुस्कुरा रही हूँ... सोच रही हूँ... यूँ ही इक ख़याल आया है दिल में...

के जो उन दुआओं में, तुम्हारे लिए नहीं... तुमको ही माँगा होता...... :))


दिल कि ख्वाहिशों को हमने कभी मरने न दिया...

दिल कि ख्वाहिशें ऐसी, के जीने नहीं देतीं... !!! {i-ism@random}


तुम हकीकत हो... मैं तिलिस्म हूँ...
तुम जिस्म हो... मैं इस्म हूँ...!!!!
{i-ism@chanak}

ख़ाली हाथ फैलाये बैठी हूँ, सजदे में झुका के सर को...

कुछ यादें, कुछ बातें, वादे कुछ भूले...

बस और कुछ नहीं...

पिछले साल भेजे थे जो, उन ख़तों में सब रख दिया था अपना...

इस बार तुझे देने को दुआओं के सिवा और कुछ नहीं...!!! :)

दिल आया है तो कह दो... दास्ताँ करो दो-चार... इक फ़कत तस्वीर पे यूँ कब तक मरोगे..??? {i-ism@random}

"आब-ए-तल्ख़ से क्या आज़माइश रखोगे मिरी...
मैं आरा-ए-मुहोब्बत हूँ... कोई आशुफ्ता आतिश नहीं...!!!"

ज़िन्दगी कब रुकी है किसी के लिए...

के मेरा नाम कोई "ज़िन्दगी" रख दे...!!!

उसकी बे-इह्तियाति पे यूँ फ़िदा हुए हम... अपनी बे-इख्तियारी के सदके जी सदके...!!! {i-ism@chanak}

मुहोब्बत में कुछ यूँ शिद्दत है मेरी... परिस्तिश करे हैं उन्हें ख़ुदा बना के हम...!!! {i-ism@chanak}

ज़ख़्मी है दिल.. कुछ कहने दो...

मैं शराबी हूँ.. नशे में हूँ...

ज़रा और रहने दो... ज़रा और रहने दो...!!!

आया बन के खुशबू.. दर्द बन गया,,,

झुकी पलकों के आंसू, उसे दिखे भी नहीं...

दबी हंसी में समेटे बीते हुए मौसम...

सोचते हैं आगे दास्ताँ लिखें कि नहीं...

इक आवां में बैठे हैं तनहा..

ख्वाबीदा नज़रें.. बुझते चिरागों के तले....

दिल के बेबाक किवाड़ो को मुकफ्फल था किया...

ये कौन दस्तक दे रहा है हौले से दिल पे आज...???


यूँ ही मुस्कुरा लिया करते हैं... रात दिन, सुबह शाम...

चाहतें तो बह चुकी मेरी आँखों से... अब अश्कों का भी क्या काम..??

जब ख़ुदा ने मुझे बनाया होगा...

एक-आद जाम उसने भी लगाया होगा...

यकीन न हो तो खुद ही देख लो आके...

यूँ ही नशीली नहीं मेरी आँखें...!!!


Wednesday, July 21

sochti hun kya karun...

kya kahun..
keh bhi dun ya nahin...
beh jane dun jazbaat
ya seene mein see lun..
ab tak bhi toh jiya hai...
kya aise hi jee lun..??

ya khol dun aaj paate dil ke..
urh jaaun door baadlon mein
khul ke hans lun.. ro lun...
rukun... phir chal dun
chalti hi jaaun door kahin...!!!

Sunday, May 16

mcleod

Monday, May 10

http://picasaweb.google.com/ila.rawat/Mcleod?authkey=Gv1sRgCP79sOT3w_LDFQ&feat=directlink

Monday, February 15

mil gaye jo gale tum, kabhi yun hi ittefaqi...
koi jus-t-ju na hogi... koi aarzoo na baaki...
khwaabon ka silsila to wahin khatm hua samjho...
tu khawaab hai wahi jo hum paalein ihtiyaati...!!!

Wednesday, February 3

koi bhi khatm nahin dikhta iss daastaan ka...

ye kahani be sir pair badhti jayegi...
yun hi ulajh jayegi zindagi chamakte resham mein...
mujhko teri aadat agar parh jayegi...

yun misri ghol gaya.. meetha sa alfaaz tira...
aankhein band kar ke dil ne tira ehsaas liya...
zubaan pe khoon ag gaya toh mushkil aayegi...
mujhko teri aadat agar parh jayegi...

na lo imtihaan iss tarah meri tanhaayee ka...
sadaaon se bharo nahin sanam tum dil mera...
jo ho nahin sakta haqeekat, usse bhula do bas...
zamaane ko zara khushi mein maut aayegi...

tum aawaaz ho.. khayaal ho.. khoobsurat ho...
tum sapna ho, wo jo sach hua nahin karte...
main tumko soch ke har lamha muskura lungi...
choo liya agar, to rooh meri mar jayegi...

mujhko teri aadat agar parh jayegi...
ye kahani yun hi be sir pair badhti jayegi.........





Saturday, December 5

tune choo liya ik baar...

ab janaaze ko ijaazat hogi...
muhobbat hogi meri wahan..
jab khatm ibaadat hogi..!!

Tuesday, October 6

tira itlaaf na seh paaenge... ye intaqaam kis baat ka hai...

tujhse muhobaat hai mujhe.. bas muhobaat...

ab aa bhi ja...

chal jaan hi le le meri...!!!

maine zamaane ki baaton ko kabhi daam na diya..

banaya rishta toh nibhaya hai, bas koi naam na diya...!!!

hum jaisee ho fitrat, toh har fidaayee ko ye fazal hai...

ikraar ban jaye ikhlaas, jiska khatm sirf asal hai...!!!

uske jalaal-o-jamaal ke jalwe, janaab kya kahiye...

jashn-e-janaazaa mein hui jumbish, janaab kya kahiye!!!

tishnagi tasawwuff ki hai hum mein.. tasawwur ki nahin...

hum paristish mohobaat ki karein hain... buton ki nahin!!!

Monday, August 31

kya kar diya ke khayaalon se bhi,
mujhko juda kar diya...

jaa main meera ho gayee...
aur tujhko khuda kar diya...!!!

Saturday, April 25

नोच रहे हैं ख़याल----
चबा रही हैं यादें
मैं घसीट रही हूँ ख़ुद को
जाने किस ओर जाना है
सन्नाटा है चारों ओर
गहरा अँधेरा
बेचैनी है --- घबराहट है
एक कोशिश है
किस बात की... पता नहीं
हर साँस बेमानी
हर बात बेमतलब
बेजान--- बेसोज़-- बेहोश---
चली जा रही हूँ
बस दिखती है हर ओर
उम्मीद से भरी आँखें॥
मुझ से अब भी बाकी हैं उम्मीदें...
मुझसे??
मैं हूँ ही कहाँ अब??
बची भी हूँ क्या???
दिखायी भी देती हूँ???
...शायद...
पर कहाँ?? मुझे भी दिखाओ
आईने में कोई नहीं दिखता मुझे
कहाँ खोयी हूँ??? तुम्हें पता है...???
मुझे भी बताओ...!

इन नोचते ख्यालों को खींच लो मुझ पर से
बचा लो!!!
जीना चाहती हूँ मैं
कुछ लम्हे मेरी यादों में
भर दो न अपने
जीना चाहती हूँ मैं!!!

Monday, March 30

लब्जों से खाली इस दिल ने

इक सदा दी है...

मिरे एहसास को जुबां मिल जाए

खुदाओं से ये दुआ की है॥

सूनी राहें थीं अब तक…
अब उससे भी सूनी आँखें हैं..
एक सपने का सहारा था...
अब वो भी नहीं दिखता..

यादों के धुंधले ढेर में ढूंढती हूँ…
कोई तो याद मिले ऐसी, के जी भर जाए..
सब खाली मंज़र हैं..
कुछ खोखले वादे...
चाट के किनारे ख़्वाबों के...
अब जी नहीं भरता...

इस उम्मीदों के मरघट में...
अब डर भी नहीं लगता मुझे..
एक आस के सहारे बैठी थी कुछ क्षण...
वो भी मर गयी शायद..
कल उसका जनाज़ा देखा था…
अब वो भी नहीं दिखता…

यूँ ही चलती जा रही हूँ…
या खड़ी हूँ वहीँ शायद...
परछाईयाँ घूम रहीं हैं...
या घूम रही हूँ मैं शायद...
कभी चेहरा दिखता था उन में…
अब वो भी नहीं दिखता …
अब ज़िन्दगी है.. गर जिंदगी कहते हैं इससे…
फिर वही तन्हाई..
जिसका कभी मुझे डर था॥


Friday, February 6

सराब लगते हो मीठे…फ़र्दा की बातों में दिखते …
तारीक रातों में बसे तुम.. हकीकत में उतर जाओ...
ये अफसाना-ओ-तन्हाई का खेल न खेलो... सुधर जाओ...
रातें पहले ही बेदार हैं, ख़्वाबों को बेदार न करो...
भीगी सी रहने लगी हैं आँखें... दूर लम्हा-ऐ-दीदार न करो..
उम्मीदों के कई मादफ़न खड़े कर चुकी हूँ ज़िन्दगी में...
अब खो जाने सी बातें कर के बीमार न करो...
बा-मर्ज़ हूँ. मुहोब्बत है मुझे..
हो गयी खता.. अब क्या करूँ...??
तन्हा छोड़ के मुझे बेसोज़..बेज़ार न करो...
मांगे हुए लम्हे हैं कुछ... बीती हुई बातें हैं लिखते...
तरीक राहों में शामिल... तेरी राह हैं तकते...
बेशक न मिलो हमसे… ये हक तो रहने दो…
मेरी बेकैफ़ ज़िन्दगी को जार जार न करो….

Wednesday, December 3

तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी भागती जा रही है
सुन्न सी गुंजन कानों में काटती जा रही है...
चारों ओर गाड़ियों का शोर
backlights की चादर
धुएँ का सागर
बंद करती हूँ आँखें तन्हाई ढूँढने को...

और तुम आ जाते हो...
... कभी तो तन्हा छोड़ो दोस्त...!!!
[i to z]

Tuesday, December 2

एक दिन कोई बोलेगा "उठो"... और हम उठ जायेंगे...
जो जी रहे थे... या समझ रहे थे ख़ुद को जिंदा
कटपुतलियों की तरह जुट जायेंगे...
एक और खेल...
एक और तमाशा दिखने दुनिया को
जिंदा लोगो का तमाशा...
उनकी मौत का तमाशा
पॉवर का तमाशा
खौफ का तमाशा...
और लुट जायेंगे
अपने स्वाभिमान से..
आत्मविश्वास से
एहम से
कोई कहेगा एक दिन "मर जाओ"
और हम मर जायेंगे
अब भी कौनसा जी रहे हैं हम
....
नहीं?

Saturday, November 8

मैं सब समझती हूँ
पर इसे कैसे समझाऊं...
ये जो रूठ के बैठा है मुझसे
-- दिल मेरा---
इसे कैसे मनाऊं...???
रोता है-- बिलखता है...
जीने नहीं देता मुझे
हर धड़कन पे तेरा नाम
हर बात पे तेरी याद
--- चाय तक भी चैन से
पीने नहीं देता मुझे
कहता है तुझे ला दूँ
किधर से भी-- कैसे भी
इसे बस तू ही चाहिए
जिधर से भी-- जैसे भी
मैंने कहा दिल से-- मुमकिन नहीं ये
पर नामुराद मानता ही नहीं
यूँ मुह फेरे बैठा है मुझसे
जैसे पहचानता ही नहीं
बस तुम ही तुम हो--
मैं कहीं नहीं
अब इस दिल के ख्यालों में
उलझती ही जा रही हूँ मैं
इस बे-लगाम के सवालों में
अब तुम ही कुछ करो
आ जाओ इस पागल के लिए
तुम्हे इस दिल से लगा लूँ मैं
बस पल दो पल के लिए
उसी खुशबू में डुबो दूँ इसे
महसूस कर ले ये तुम्हे
चैन मिल जाएगा इसे
इक बार छु ले ये तुम्हे
फिर चले जाना
इसे मैं samajha dungi
तुम बिन कैसे जीना है
इसको भी bataa dungi
बस एक बार चले aao
baawaraa रास्ता taktaa है तेरा
इक पल के लिए ही आ जाओ
दिल नहीं लगता है मेरा...!!!

Tuesday, August 26

अपनी ही नज़र से डर लग रहा है।
दिल में ये बातें रूकती नहीं हैं।
किसी और से भी ये कहना नहीं है।
फूंक के रखूं हर अपना कदम, लग रहा है।
ख़ुद अपनी नज़र से डर लग रहा है॥
पिघलने लगी है हँसी आंखों में अब।
खुशी ही खुशी है मेरी बातों में अब।
बटी हैं ये सांसें सौगातों में अब।
मुस्काती मिलेगी हर सहर, लग रहा है।
ख़ुद अपनी नज़र से ही डर लग रहा है॥

Monday, August 25

गीली मिट्टी से पनपी खुशबू में
इक जो साया लिपटा चला आता था--
बरसों सता कर... आज जा कर
उसने तिरा नाम लिया।
अपनी ज़हे- नसीबी पे फिर
हमने ये दिल थाम लिया॥

ग़श खाया-- ज़रा लहराया
दिल इठलाया इठलाया सा है
माशा-अल्लाह!! नज़रों से बचे...
खुशनुमा शरमाया सा है।

रु-ब-रु तू... तिरा चेहरा
तेरे एहसास भरा जाम पिया
तिरे लब्जों में लपेटा ख़ुद को
हमने ये दिल थाम लिया ॥

सुकूं आया है अब जा कर
बरसों राह पे बिठा कर
... इंतज़ार में, ख़याल बुनती मैं...
तूने खूब इम्तिहान लिया--
अब जो आ के
चूमी है पेशानी मेरी
हमने ये दिल थाम लिया...
हमने ये दिल थाम लिया॥







सुरूर सा हवाओं में बहता है आजकल
तुझ जैसा कोई दुआओं में रहता है आजकल॥

जुबां ख़ामोश है... सूनी आँखें हैं लेकिन
बहुत कुछ मुझसे दिल कहता है आजकल॥

मिले नहीं कभी, यादें मुलाक़ात की नहीं
जाने कैसे ग़म-ए-जुदाई दिल सहता है आजकल॥

तुझ जैसा कोई हवाओं में रहता है आजकल॥

Thursday, August 21

इशरत-ऐ-आलम-ऐ-दीदार क्या होगा...
सोचती हूँ कुरबत-ऐ-यार में हाल क्या होगा...!!!

फ़ासला है भी और कोई फ़ासला नहीं,
सरहदों के परे अपने दिल तो जुदा नहीं...
क्या चीज़ ये "लगावट" ख़ुदा ने बना डाली है...
लग जाए कहीं दिल तो, कहीं और फिर लगता नहीं॥

Wednesday, July 23

मिरे सजदे के ऐवज़ में ये मेहर मिले...
तिरे चेहरे पे अब मेरी हर सहर खिले!!!

Tuesday, July 1

i got a baby boy!!!!

WhaT thE Hell.. gOd DaMn... WoW!!!..
I m a "bUa" nOw..
haD bEen sizzLinG wiTh feVer..
buT i Neva fElt beTteR..
aM brImMing wITh joY..
i gOt a baBy bOy...
yEEeeEEEEee!!!!

THANKYOU BHABHI...
(okay okay..)BHAIYA TOO!!!!

होगा सबब क्या...
वो जो ठहरा हुआ है आँगन में...
घर के दायरों में मिरे
कोई मैकदा भी नहीं...
दरो को खोल दूँ...
आने दूँ उसको महफिल में...
इज्तियार-ऐ-दिल तो है...
पर इतना मेहरबान भी नहीं...
दस्तक शुरू हुई है दिल पे अभी
रह रह के
aaghaaz है मगर
ye पूरी दास्ताँ भी नहीं...




Tuesday, June 24




ज़ो के लिए

जब भी सोचोगे मुझे
मेरी खुशबू आएगी
वोह लम्हा दोपहर का
जब मिले थे हम
कुछ बातें--- थोडी हँसी
वो भिन्डी की भाजी का स्वाद
और साथ में कुछ मजाक
भी भेज दूँगी
तुम खूब हंसना---
मुस्कुराना---
फिर शांत हो जाना
देखना कहीं इर्द - गिर्द तो नहीं मैं
-- और फिर कभी यूँ भी होगा
के मुझे साथ पाओगे
जब दिल भर जाए -- रो पाओगे
मैं ना भी मिलूं
-- तो कन्धा भेज दूँगी अपना
जब तक जी चाहे रख लेना
संग अपने मेरे भी आंसू चख लेना
हम रोक लिया करेंगे लम्हात
ग़ज़लें कहेंगे -- मौसिकी जियेंगे
यूँ ही रहेंगे
जब जी चाहे...
जब तक जी चाहे
अपनी खुशबू में सब बाँध रखा है मैंने
मैं हरदम न हो के भी, हूँ हमेशा
जैसे तुम हो मेरे पास--- न हो के भी ... हमेशा॥




Thursday, June 5


एक लम्हा इंतज़ार...लम्हा बार बार....इंतज़ार बरकरार...और एक फैसला ज़िंदगी का॥ कुछ मुलाकातें,दो चार बातें,और एक फैसला ज़िंदगी का॥ रात, खयालात, ज़िंदगी की बात, अनजाने, अनदेखे------ अनसुलझे जज़्बात ...और एक फैसला ज़िंदगी का॥

अनंत सागर है यह

कोई सीमा, कोई दर नहीं

बस डूब जाओ इसमें

कह दो सारी बातें मन की

कागज़ को - कलम को - रंगों को

बना लो मसीहा

तैरो निडर -----

बहने दो जो बहता जाए

फिर देखो ----

कैसे कल्पना आंखें खोलेगी

उठेगी ---- चलेगी ----

खेलेगी तुम्हारे साथ

--- तुमसे परे ----

भीतर भी तुम्हारे ---

इर्द गिर्द ----- सर्वत्र

तुम ही तुम होगी मेरी अंकु.... ।।।

Tuesday, June 3

ज़िंदगी क्यों बेबाक बेखौफ चली जाती है

इतने हादसों से कुछ तो सीखा होता...

दिल है के टूट के बिखरा पड़ा है रस्तों पर
न जाने इस पर क्या क्या नहीं बीता होगा...

अश्क आंखों में कुछ ठहर ठहर गए से हैं

होंठ भी अधखुले से, बिलबिलाये, सुर्ख huye

अन्दर एक टीस सी सिमट के रह गयी जैसे

इक दफा दिल लगा के ज़ोर से चीखा होता

इतने हादसों से कुछ to सीखा होता

अरे कुछ to दिखा असर जो तुझपर हुआ है

यह जो आंखों में दिख रहा है, असल में हुआ है

न मुस्कुरा ऐ बुत - झूठा तू - संगेमरमर का सही

हाय! पत्थर पे कोई नाम और लिखा होता

न जाने इस पर क्या क्या नहीं बीता होगा...





ज़िंदगी क्यों बेबाक बेखऑफ चली जाती है...!!!

Sunday, June 1

फिर वही रस्ते हैं
वही गलियाँ
वही मकान
- बस तुम नहीं


ज़िंदगी वही है

वही दिन- वही रात

- बस तुम नहीं

वही फ़ोन की घंटी है

वही एहसास, के तुम होगे

-पर तुम नहीं

वही खयालात ... आगे की बात

वही उलझनें

- बस तुम नहीं

वही यादें, वही रुसवाई

वही थकान

- बस तुम नहीं

वही फासले वही मुश्किलें

वही जज्बात

- बस तुम नहीं

वही सुबह... वही शाम

आंखों में उम्मीद

- बस तुम नहीं

क्या बदला, कुछ भी नहीं

सब वही है - बस तुम नहीं

वही ज़िंदगी... वही रफ़्तार

बस तुम नहीं...

वही तुम हो - वही मैं

बस मैं मैं नहीं - तुम तुम नहीं..


Saturday, May 31

अरमान के शब्दों में मैं..


एक प्यारी सी सूरत...
उस पे मासूम सा चेहरा;

दो झील सी आंखें...
करती हैं मीठी मीठी बातें;

एक नाज़ुक अदा....
कुछ मस्ती कुछ मज़ा,

थोडी सी शरारत...
ढेर सारी चाहत;

एक भोली सी मुस्कान;
ऊंचा उड़ने का अरमान!!

सबसे अलग सबसे जुदा,
जिसकी है प्यारी हर एक अदा...

इला 'RINKY' रावत है नाम उसका...!!

Friday, May 30


kiska इंतज़ार है तुझे
इस वीराने में...
यहाँ कोई नहीं आता...
अल्लाह की मेहरबानी है
के साए की मुहलत है तुझे
किसका इंतज़ार है तुझे इस वीराने में...???

Thursday, May 29


सब किया तेरे लिए... बस इतना ना किया
रिश्तों को निभाया है... इनको कोई नाम न दिया....

इक लम्हा नहीं गुज़ारा... तेरे बिना साँसे भी न लीं
यादों में हर पल खोयी, ख्वाब देखती रही
कलम से छ्लकी स्याही भी तेरी ही बातें करे
नाम किसी का पुकारा था, तेरा ही नाम निकला

peele panne

तेरे नाम पे आया था तोहफा॥
तुझे ही लौटाये देती हूँ...
एक पन्ना अपनी पीली किताब का...
आज तेरे नाम कर देती हूँ...
तेरे अक्स को रख के सर-ऐ-आइना
कई कई बातें की हैं तुझसे
आज तोड़ के आइना अपना...
यह किस्सा ही तमाम कर देती हूँ....
बस एक पन्ना अपनी पीली किताब का...
आज तेरे नाम कर देती हूँ...