Friday, August 6

ख़ाली हाथ फैलाये बैठी हूँ, सजदे में झुका के सर को...

कुछ यादें, कुछ बातें, वादे कुछ भूले...

बस और कुछ नहीं...

पिछले साल भेजे थे जो, उन ख़तों में सब रख दिया था अपना...

इस बार तुझे देने को दुआओं के सिवा और कुछ नहीं...!!! :)

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