फिर वही रस्ते हैं
वही गलियाँ
वही मकान
- बस तुम नहीं
ज़िंदगी वही है
वही दिन- वही रात
- बस तुम नहीं
वही फ़ोन की घंटी है
वही एहसास, के तुम होगे
-पर तुम नहीं
वही खयालात ... आगे की बात
वही उलझनें
- बस तुम नहीं
वही यादें, वही रुसवाई
वही थकान
- बस तुम नहीं
वही फासले वही मुश्किलें
वही जज्बात
- बस तुम नहीं
वही सुबह... वही शाम
आंखों में उम्मीद
- बस तुम नहीं
क्या बदला, कुछ भी नहीं
सब वही है - बस तुम नहीं
वही ज़िंदगी... वही रफ़्तार
बस तुम नहीं...
वही तुम हो - वही मैं
बस मैं मैं नहीं - तुम तुम नहीं..
1 comment:
इसे कहते हैं एहसासों के रास्ते,
जब लगे वो नहीं,तो मानो-कोई है,कोई है .......
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