Sunday, June 1

फिर वही रस्ते हैं
वही गलियाँ
वही मकान
- बस तुम नहीं


ज़िंदगी वही है

वही दिन- वही रात

- बस तुम नहीं

वही फ़ोन की घंटी है

वही एहसास, के तुम होगे

-पर तुम नहीं

वही खयालात ... आगे की बात

वही उलझनें

- बस तुम नहीं

वही यादें, वही रुसवाई

वही थकान

- बस तुम नहीं

वही फासले वही मुश्किलें

वही जज्बात

- बस तुम नहीं

वही सुबह... वही शाम

आंखों में उम्मीद

- बस तुम नहीं

क्या बदला, कुछ भी नहीं

सब वही है - बस तुम नहीं

वही ज़िंदगी... वही रफ़्तार

बस तुम नहीं...

वही तुम हो - वही मैं

बस मैं मैं नहीं - तुम तुम नहीं..

1 comment:

रश्मि प्रभा... said...

इसे कहते हैं एहसासों के रास्ते,
जब लगे वो नहीं,तो मानो-कोई है,कोई है .......