Wednesday, December 3

तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी भागती जा रही है
सुन्न सी गुंजन कानों में काटती जा रही है...
चारों ओर गाड़ियों का शोर
backlights की चादर
धुएँ का सागर
बंद करती हूँ आँखें तन्हाई ढूँढने को...

और तुम आ जाते हो...
... कभी तो तन्हा छोड़ो दोस्त...!!!
[i to z]

3 comments:

रश्मि प्रभा... said...

हाँ दोस्त.......तनहा तो छोड़ो

Zorba said...

गम को इजहार करने का सब का तरीका अलग अलग होता है लेकिन गम को महसूस करने का तरीका सब का एक ही है


ye kuchh bas aisa hi hai.

Rajesh said...

Ila,

Why did you stop writing. Start something new :)

Rajesh