'I'... for 'i'diosyncracies...
for pouring those 'i'deas
i have in store.. out!!!
for 'i'mages 'i' create
in my m'i'nd...
for the expession'i'st in me...
'I'ism... for you!!!!
Friday, August 6
आसमानी ख़याल... सुरमई रंग है मिरा...
सुनहरे सपने.. गुलाबी आँखें...
सफ़ेद चमकदार है ज़िन्दगी...
सांवली रात का रंगीन इन्द्रधनुष हूँ मैं... (@Ila-ism)
तुम्ही से है शुरू.. ख़त्म तुम्ही पर... ये मेरी ज़िन्दगी बड़ी छोटी ही सही..!!! [tch@i-ism]
इस ओर न देख खुर्शीद.. उदासी होगी...
ये इबादत का खिजाना इब्न-ए-इश्क का है...!!! {i-ism@chanak}
सजा लो वापिस तलवारें मयानों में...
मैं कली हूँ अनार की... अकबर..
तुम मुझे क्या हराओगे...???
मैं मुहोब्बत हूँ...
दर्द कि आग़ोश में जीती हूँ...
जिसे ज़िन्दगी न डरा सकी...
उसे मौत से क्या डराओगे...???
{i-ism@random}
कल चांदनी सी छत पे... एक लम्हा देखा था...
कल चांदनी सी छत पे, इक याद बना ली जी...!!!
हौले से गुनगुनाती है हवा आज कानों में...
मौसम है ये आज का..., के मुहोब्बत का असर है मुझे ...???
यूँ तन्हा हो जाते हैं रास्ते कभी यूँ भी...
के कोई छू के भी गुज़र जाये... तो एहसास नहीं होता...!!!
आँखों में बसे चेहरे, दिल कि यादों में पलते रहते हैं...
ख़ुदा रुकते नहीं मेरे... चलते रहते हैं...!!!
परिस्तिश छोड़ दी मैंने जब से तू गया... क्या करेंगे ख़ुदा पा कर भी... तेरे बिना..." {i-ism}
हवाओं में... दरियाओं में... मंज़रों में देखो...
दुश्मनों में... रिश्तों में... महबूब में देखो...
बाज़ारों में क्या ढूंढते हो तुम ख़ुदा...
ख़ुदा खुद तुम में है... खुद में डूब के देखो...!!!
मुस्कुरा रही हूँ... सोच रही हूँ... यूँ ही इक ख़याल आया है दिल में...
के जो उन दुआओं में, तुम्हारे लिए नहीं... तुमको ही माँगा होता...... :))
दिल कि ख्वाहिशों को हमने कभी मरने न दिया...
दिल कि ख्वाहिशें ऐसी, के जीने नहीं देतीं... !!! {i-ism@random}
तुम हकीकत हो... मैं तिलिस्म हूँ...
तुम जिस्म हो... मैं इस्म हूँ...!!!!
{i-ism@chanak}
ख़ाली हाथ फैलाये बैठी हूँ, सजदे में झुका के सर को...
कुछ यादें, कुछ बातें, वादे कुछ भूले...
बस और कुछ नहीं...
पिछले साल भेजे थे जो, उन ख़तों में सब रख दिया था अपना...
इस बार तुझे देने को दुआओं के सिवा और कुछ नहीं...!!! :)
दिल आया है तो कह दो... दास्ताँ करो दो-चार... इक फ़कत तस्वीर पे यूँ कब तक मरोगे..??? {i-ism@random}
"आब-ए-तल्ख़ से क्या आज़माइश रखोगे मिरी...
मैं आरा-ए-मुहोब्बत हूँ... कोई आशुफ्ता आतिश नहीं...!!!"
ज़िन्दगी कब रुकी है किसी के लिए...
के मेरा नाम कोई "ज़िन्दगी" रख दे...!!!
उसकी बे-इह्तियाति पे यूँ फ़िदा हुए हम... अपनी बे-इख्तियारी के सदके जी सदके...!!! {i-ism@chanak}
मुहोब्बत में कुछ यूँ शिद्दत है मेरी... परिस्तिश करे हैं उन्हें ख़ुदा बना के हम...!!! {i-ism@chanak}
ज़ख़्मी है दिल.. कुछ कहने दो...
मैं शराबी हूँ.. नशे में हूँ...
ज़रा और रहने दो... ज़रा और रहने दो...!!!
आया बन के खुशबू.. दर्द बन गया,,,
झुकी पलकों के आंसू, उसे दिखे भी नहीं...
दबी हंसी में समेटे बीते हुए मौसम...
सोचते हैं आगे दास्ताँ लिखें कि नहीं...
इक आवां में बैठे हैं तनहा..
ख्वाबीदा नज़रें.. बुझते चिरागों के तले....
दिल के बेबाक किवाड़ो को मुकफ्फल था किया...
ये कौन दस्तक दे रहा है हौले से दिल पे आज...???
यूँ ही मुस्कुरा लिया करते हैं... रात दिन, सुबह शाम...
चाहतें तो बह चुकी मेरी आँखों से... अब अश्कों का भी क्या काम..??