Thursday, August 21

इशरत-ऐ-आलम-ऐ-दीदार क्या होगा...
सोचती हूँ कुरबत-ऐ-यार में हाल क्या होगा...!!!

फ़ासला है भी और कोई फ़ासला नहीं,
सरहदों के परे अपने दिल तो जुदा नहीं...
क्या चीज़ ये "लगावट" ख़ुदा ने बना डाली है...
लग जाए कहीं दिल तो, कहीं और फिर लगता नहीं॥