एक दिन कोई बोलेगा "उठो"... और हम उठ जायेंगे...
जो जी रहे थे... या समझ रहे थे ख़ुद को जिंदा
कटपुतलियों की तरह जुट जायेंगे...
एक और खेल...
एक और तमाशा दिखने दुनिया को
जिंदा लोगो का तमाशा...
उनकी मौत का तमाशा
पॉवर का तमाशा
खौफ का तमाशा...
और लुट जायेंगे
अपने स्वाभिमान से..
आत्मविश्वास से
एहम से
कोई कहेगा एक दिन "मर जाओ"
और हम मर जायेंगे
अब भी कौनसा जी रहे हैं हम
....
नहीं?
Tuesday, December 2
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2 comments:
sahi hai...abhi bhi kaun sa jee rahe hain hum
सच में आज यही हालत हैं ........ बहुत बढिया
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