Wednesday, December 3

तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी भागती जा रही है
सुन्न सी गुंजन कानों में काटती जा रही है...
चारों ओर गाड़ियों का शोर
backlights की चादर
धुएँ का सागर
बंद करती हूँ आँखें तन्हाई ढूँढने को...

और तुम आ जाते हो...
... कभी तो तन्हा छोड़ो दोस्त...!!!
[i to z]

Tuesday, December 2

एक दिन कोई बोलेगा "उठो"... और हम उठ जायेंगे...
जो जी रहे थे... या समझ रहे थे ख़ुद को जिंदा
कटपुतलियों की तरह जुट जायेंगे...
एक और खेल...
एक और तमाशा दिखने दुनिया को
जिंदा लोगो का तमाशा...
उनकी मौत का तमाशा
पॉवर का तमाशा
खौफ का तमाशा...
और लुट जायेंगे
अपने स्वाभिमान से..
आत्मविश्वास से
एहम से
कोई कहेगा एक दिन "मर जाओ"
और हम मर जायेंगे
अब भी कौनसा जी रहे हैं हम
....
नहीं?