इतने दिनों के बाद आया है तू..
और उजला हुआ कुरबत का चाँद...
और गहरा हुआ तेरा फुसुं...
सोचती हूँ झुका के अपनी नज़र...
अब तुझे दूर से कैसे मिलूँ...???
और उजला हुआ कुरबत का चाँद...
और गहरा हुआ तेरा फुसुं...
सोचती हूँ झुका के अपनी नज़र...
अब तुझे दूर से कैसे मिलूँ...???
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