Monday, November 21

इतने दिनों के बाद आया है तू..
और उजला हुआ कुरबत का चाँद...
और गहरा हुआ तेरा फुसुं...
सोचती हूँ झुका के अपनी नज़र...
अब तुझे दूर से कैसे मिलूँ...???

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