Saturday, November 19

"मैंने ये सोच कर तस्बी ही तोड़ दी है 'फ़राज़',

क्या गिन गिन के माँगू उस से जो देता बे-हिसाब है!!" (faraz)


मैंने घर में ही खोली है दूकान सवालों की... हर सवाल के जवाब में सवाल है...
उससे क्या मांगू... जो खुद लाजवाब है... !! (i-ism)

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