Tuesday, August 26

अपनी ही नज़र से डर लग रहा है।
दिल में ये बातें रूकती नहीं हैं।
किसी और से भी ये कहना नहीं है।
फूंक के रखूं हर अपना कदम, लग रहा है।
ख़ुद अपनी नज़र से डर लग रहा है॥
पिघलने लगी है हँसी आंखों में अब।
खुशी ही खुशी है मेरी बातों में अब।
बटी हैं ये सांसें सौगातों में अब।
मुस्काती मिलेगी हर सहर, लग रहा है।
ख़ुद अपनी नज़र से ही डर लग रहा है॥

Monday, August 25

गीली मिट्टी से पनपी खुशबू में
इक जो साया लिपटा चला आता था--
बरसों सता कर... आज जा कर
उसने तिरा नाम लिया।
अपनी ज़हे- नसीबी पे फिर
हमने ये दिल थाम लिया॥

ग़श खाया-- ज़रा लहराया
दिल इठलाया इठलाया सा है
माशा-अल्लाह!! नज़रों से बचे...
खुशनुमा शरमाया सा है।

रु-ब-रु तू... तिरा चेहरा
तेरे एहसास भरा जाम पिया
तिरे लब्जों में लपेटा ख़ुद को
हमने ये दिल थाम लिया ॥

सुकूं आया है अब जा कर
बरसों राह पे बिठा कर
... इंतज़ार में, ख़याल बुनती मैं...
तूने खूब इम्तिहान लिया--
अब जो आ के
चूमी है पेशानी मेरी
हमने ये दिल थाम लिया...
हमने ये दिल थाम लिया॥







सुरूर सा हवाओं में बहता है आजकल
तुझ जैसा कोई दुआओं में रहता है आजकल॥

जुबां ख़ामोश है... सूनी आँखें हैं लेकिन
बहुत कुछ मुझसे दिल कहता है आजकल॥

मिले नहीं कभी, यादें मुलाक़ात की नहीं
जाने कैसे ग़म-ए-जुदाई दिल सहता है आजकल॥

तुझ जैसा कोई हवाओं में रहता है आजकल॥