Sunday, June 21
Thursday, December 22
Saturday, December 17
Monday, November 21
Saturday, November 19
Thursday, March 31
Friday, August 6
Wednesday, July 21
Sunday, May 16
Monday, May 10
Monday, February 15
Wednesday, February 3
koi bhi khatm nahin dikhta iss daastaan ka...
Saturday, December 5
Tuesday, October 6
Monday, August 31
Saturday, April 25
नोच रहे हैं ख़याल----
चबा रही हैं यादें
मैं घसीट रही हूँ ख़ुद को
जाने किस ओर जाना है
सन्नाटा है चारों ओर
गहरा अँधेरा
बेचैनी है --- घबराहट है
एक कोशिश है
किस बात की... पता नहीं
हर साँस बेमानी
हर बात बेमतलब
बेजान--- बेसोज़-- बेहोश---
चली जा रही हूँ
बस दिखती है हर ओर
उम्मीद से भरी आँखें॥
मुझ से अब भी बाकी हैं उम्मीदें...
मुझसे??
मैं हूँ ही कहाँ अब??
बची भी हूँ क्या???
दिखायी भी देती हूँ???
...शायद...
पर कहाँ?? मुझे भी दिखाओ
आईने में कोई नहीं दिखता मुझे
कहाँ खोयी हूँ??? तुम्हें पता है...???
मुझे भी बताओ...!
इन नोचते ख्यालों को खींच लो मुझ पर से
बचा लो!!!
जीना चाहती हूँ मैं
कुछ लम्हे मेरी यादों में
भर दो न अपने
जीना चाहती हूँ मैं!!!
Monday, March 30
सूनी राहें थीं अब तक…
अब उससे भी सूनी आँखें हैं..
एक सपने का सहारा था...
अब वो भी नहीं दिखता..
यादों के धुंधले ढेर में ढूंढती हूँ…
कोई तो याद मिले ऐसी, के जी भर जाए..
सब खाली मंज़र हैं..
कुछ खोखले वादे...
चाट के किनारे ख़्वाबों के...
अब जी नहीं भरता...
इस उम्मीदों के मरघट में...
अब डर भी नहीं लगता मुझे..
एक आस के सहारे बैठी थी कुछ क्षण...
वो भी मर गयी शायद..
कल उसका जनाज़ा देखा था…
अब वो भी नहीं दिखता…
यूँ ही चलती जा रही हूँ…
या खड़ी हूँ वहीँ शायद...
परछाईयाँ घूम रहीं हैं...
या घूम रही हूँ मैं शायद...
कभी चेहरा दिखता था उन में…
अब वो भी नहीं दिखता …
अब ज़िन्दगी है.. गर जिंदगी कहते हैं इससे…
फिर वही तन्हाई..
जिसका कभी मुझे डर था॥
Friday, February 6
सराब लगते हो मीठे…फ़र्दा की बातों में दिखते …
तारीक रातों में बसे तुम.. हकीकत में उतर जाओ...
ये अफसाना-ओ-तन्हाई का खेल न खेलो... सुधर जाओ...
रातें पहले ही बेदार हैं, ख़्वाबों को बेदार न करो...
भीगी सी रहने लगी हैं आँखें... दूर लम्हा-ऐ-दीदार न करो..
उम्मीदों के कई मादफ़न खड़े कर चुकी हूँ ज़िन्दगी में...
अब खो जाने सी बातें कर के बीमार न करो...
बा-मर्ज़ हूँ. मुहोब्बत है मुझे..
हो गयी खता.. अब क्या करूँ...??
तन्हा छोड़ के मुझे बेसोज़..बेज़ार न करो...
मांगे हुए लम्हे हैं कुछ... बीती हुई बातें हैं लिखते...
तरीक राहों में शामिल... तेरी राह हैं तकते...
बेशक न मिलो हमसे… ये हक तो रहने दो…
मेरी बेकैफ़ ज़िन्दगी को जार जार न करो….
Wednesday, December 3
Tuesday, December 2
एक दिन कोई बोलेगा "उठो"... और हम उठ जायेंगे...
जो जी रहे थे... या समझ रहे थे ख़ुद को जिंदा
कटपुतलियों की तरह जुट जायेंगे...
एक और खेल...
एक और तमाशा दिखने दुनिया को
जिंदा लोगो का तमाशा...
उनकी मौत का तमाशा
पॉवर का तमाशा
खौफ का तमाशा...
और लुट जायेंगे
अपने स्वाभिमान से..
आत्मविश्वास से
एहम से
कोई कहेगा एक दिन "मर जाओ"
और हम मर जायेंगे
अब भी कौनसा जी रहे हैं हम
....
नहीं?
Saturday, November 8
मैं सब समझती हूँ
पर इसे कैसे समझाऊं...
ये जो रूठ के बैठा है मुझसे
-- दिल मेरा---
इसे कैसे मनाऊं...???
रोता है-- बिलखता है...
जीने नहीं देता मुझे
हर धड़कन पे तेरा नाम
हर बात पे तेरी याद
--- चाय तक भी चैन से
पीने नहीं देता मुझे
कहता है तुझे ला दूँ
किधर से भी-- कैसे भी
इसे बस तू ही चाहिए
जिधर से भी-- जैसे भी
मैंने कहा दिल से-- मुमकिन नहीं ये
पर नामुराद मानता ही नहीं
यूँ मुह फेरे बैठा है मुझसे
जैसे पहचानता ही नहीं
बस तुम ही तुम हो--
मैं कहीं नहीं
अब इस दिल के ख्यालों में
उलझती ही जा रही हूँ मैं
इस बे-लगाम के सवालों में
अब तुम ही कुछ करो
आ जाओ इस पागल के लिए
तुम्हे इस दिल से लगा लूँ मैं
बस पल दो पल के लिए
उसी खुशबू में डुबो दूँ इसे
महसूस कर ले ये तुम्हे
चैन मिल जाएगा इसे
इक बार छु ले ये तुम्हे
फिर चले जाना
इसे मैं samajha dungi
तुम बिन कैसे जीना है
इसको भी bataa dungi
बस एक बार चले aao
baawaraa रास्ता taktaa है तेरा
इक पल के लिए ही आ जाओ
दिल नहीं लगता है मेरा...!!!
Tuesday, August 26
Monday, August 25
गीली मिट्टी से पनपी खुशबू में
इक जो साया लिपटा चला आता था--
बरसों सता कर... आज जा कर
उसने तिरा नाम लिया।
अपनी ज़हे- नसीबी पे फिर
हमने ये दिल थाम लिया॥
ग़श खाया-- ज़रा लहराया
दिल इठलाया इठलाया सा है
माशा-अल्लाह!! नज़रों से बचे...
खुशनुमा शरमाया सा है।
रु-ब-रु तू... तिरा चेहरा
तेरे एहसास भरा जाम पिया
तिरे लब्जों में लपेटा ख़ुद को
हमने ये दिल थाम लिया ॥
सुकूं आया है अब जा कर
बरसों राह पे बिठा कर
... इंतज़ार में, ख़याल बुनती मैं...
तूने खूब इम्तिहान लिया--
अब जो आ के
चूमी है पेशानी मेरी
हमने ये दिल थाम लिया...
हमने ये दिल थाम लिया॥
Thursday, August 21
Tuesday, July 1
i got a baby boy!!!!
WhaT thE Hell.. gOd DaMn... WoW!!!..
I m a "bUa" nOw..
haD bEen sizzLinG wiTh feVer..
buT i Neva fElt beTteR..
aM brImMing wITh joY..
i gOt a baBy bOy...
yEEeeEEEEee!!!!
THANKYOU BHABHI...
(okay okay..)BHAIYA TOO!!!!
Tuesday, June 24
ज़ो के लिए
जब भी सोचोगे मुझे
मेरी खुशबू आएगी
वोह लम्हा दोपहर का
जब मिले थे हम
कुछ बातें--- थोडी हँसी
वो भिन्डी की भाजी का स्वाद
और साथ में कुछ मजाक
भी भेज दूँगी
तुम खूब हंसना---
मुस्कुराना---
फिर शांत हो जाना
देखना कहीं इर्द - गिर्द तो नहीं मैं
-- और फिर कभी यूँ भी होगा
के मुझे साथ पाओगे
जब दिल भर जाए -- रो पाओगे
मैं ना भी मिलूं
-- तो कन्धा भेज दूँगी अपना
जब तक जी चाहे रख लेना
संग अपने मेरे भी आंसू चख लेना
हम रोक लिया करेंगे लम्हात
ग़ज़लें कहेंगे -- मौसिकी जियेंगे
यूँ ही रहेंगे
जब जी चाहे...
जब तक जी चाहे
अपनी खुशबू में सब बाँध रखा है मैंने
मैं हरदम न हो के भी, हूँ हमेशा
जैसे तुम हो मेरे पास--- न हो के भी ... हमेशा॥
Thursday, June 5
अनंत सागर है यह
कोई सीमा, कोई दर नहीं
बस डूब जाओ इसमें
कह दो सारी बातें मन की
कागज़ को - कलम को - रंगों को
बना लो मसीहा
तैरो निडर -----
बहने दो जो बहता जाए
फिर देखो ----
कैसे कल्पना आंखें खोलेगी
उठेगी ---- चलेगी ----
खेलेगी तुम्हारे साथ
--- तुमसे परे ----
भीतर भी तुम्हारे ---
इर्द गिर्द ----- सर्वत्र
तुम ही तुम होगी मेरी अंकु.... ।।।
Tuesday, June 3
ज़िंदगी क्यों बेबाक बेखौफ चली जाती है
इतने हादसों से कुछ तो सीखा होता...
दिल है के टूट के बिखरा पड़ा है रस्तों पर
न जाने इस पर क्या क्या नहीं बीता होगा...
अश्क आंखों में कुछ ठहर ठहर गए से हैं
होंठ भी अधखुले से, बिलबिलाये, सुर्ख huye
अन्दर एक टीस सी सिमट के रह गयी जैसे
इक दफा दिल लगा के ज़ोर से चीखा होता
इतने हादसों से कुछ to सीखा होता
अरे कुछ to दिखा असर जो तुझपर हुआ है
यह जो आंखों में दिख रहा है, असल में हुआ है
न मुस्कुरा ऐ बुत - झूठा तू - संगेमरमर का सही
हाय! पत्थर पे कोई नाम और लिखा होता
न जाने इस पर क्या क्या नहीं बीता होगा...
ज़िंदगी क्यों बेबाक बेखऑफ चली जाती है...!!!
Sunday, June 1
फिर वही रस्ते हैं
वही गलियाँ
वही मकान
- बस तुम नहीं
ज़िंदगी वही है
वही दिन- वही रात
- बस तुम नहीं
वही फ़ोन की घंटी है
वही एहसास, के तुम होगे
-पर तुम नहीं
वही खयालात ... आगे की बात
वही उलझनें
- बस तुम नहीं
वही यादें, वही रुसवाई
वही थकान
- बस तुम नहीं
वही फासले वही मुश्किलें
वही जज्बात
- बस तुम नहीं
वही सुबह... वही शाम
आंखों में उम्मीद
- बस तुम नहीं
क्या बदला, कुछ भी नहीं
सब वही है - बस तुम नहीं
वही ज़िंदगी... वही रफ़्तार
बस तुम नहीं...
वही तुम हो - वही मैं
बस मैं मैं नहीं - तुम तुम नहीं..
Saturday, May 31
अरमान के शब्दों में मैं..
एक प्यारी सी सूरत...
उस पे मासूम सा चेहरा;
दो झील सी आंखें...
करती हैं मीठी मीठी बातें;
एक नाज़ुक अदा....
कुछ मस्ती कुछ मज़ा,
थोडी सी शरारत...
ढेर सारी चाहत;
एक भोली सी मुस्कान;
ऊंचा उड़ने का अरमान!!
सबसे अलग सबसे जुदा,
जिसकी है प्यारी हर एक अदा...
इला 'RINKY' रावत है नाम उसका...!!
Friday, May 30
Thursday, May 29
peele panne
तेरे नाम पे आया था तोहफा॥
तुझे ही लौटाये देती हूँ...
एक पन्ना अपनी पीली किताब का...
आज तेरे नाम कर देती हूँ...
तेरे अक्स को रख के सर-ऐ-आइना
कई कई बातें की हैं तुझसे
आज तोड़ के आइना अपना...
यह किस्सा ही तमाम कर देती हूँ....
बस एक पन्ना अपनी पीली किताब का...
आज तेरे नाम कर देती हूँ...